वाराणसी का नया स्वरूप
बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी एक प्राचीन नगरी है, वाराणसी अपने घाटो और मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के घाट विश्वविख्यात है। लेकिन बीते कुछ सालो में वाराणसी के स्वरूप में काफी बदलाव आया है। आज के आधुनिक जमाने में काशी पर भी आधुनिकता का रंग दिखने लगा है जो ना केवल देश बाल्कि विदेशियों के आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। लोग दूर-दूर से काशी के बदलते स्वरूप को देखने आ रहे हैं। योगी सरकार काशी को नए कलेवर में विकसित कर रही है। जहां मंदिरो, घाटो, ओवर ब्रिज, पार्क आदि का निर्माण हुआ है वही पहले की अपेछा सड़को की हालत भी सुधार गई है लोगो को अब परेशानियो का सामना नहीं करना पड़ता । इन्ही सब बातों की वजह से सैलानी की संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी दर्शन के इच्छुक लोगो के लिए 17 दिसंबर 2023 को काशी दर्शन पास ऐप “काशी दर्शन पास” शुरू किया है। इस ऐप पर रजिस्ट्रेशन कर के इसका लाभ उठा सकते है।
वाराणसी का नमो घाट
खिड़किया घाट जो अब नमो घाट है अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। घाट की दीवारों पर तमाम तरह की कलाकृतिया बनायी गयी है जो लोगो का ध्यान खींचती है।
सूर्य को नमस्कार करने वाली मूर्तियां नमो घाट की नई पहचान बन गई हैं। भविष्य में 75 फीट ऊंची धातु की एक मूर्ति स्थापित करने का भी प्रस्ताव है। पर्यटक सुबह-ए-बनारस का लुफ़्त्त उठा सकते है और प्रसिद्ध गंगा आरती में भाग ले सकते है। इसके अलावा पर्यटक यहां रोमांचक गतिविधियों में भाग ले सकते है। घाट पर व्यायाम करने और सैर करने के लिए भी काफी जगह है।
काशी विश्वनाथ मंदिर
पिछले कई हजार वर्षों से वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि एक बार मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। पृथ्वी के निर्माण के दौरान सूर्य की पहली किरण काशी यानी वाराणसी पर पड़ी थी। काशी विश्वनाथ मंदिर अब सीधे गंगा से जुड़ गया है जिससे श्रद्धालु दशाश्वमेध घाट, मणिकर्णिका और ललिता घाट पर स्नान करने के बाद सीधे बाबा के मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे। चुनार के बलुआ पत्थर के अलावा सात प्रकार के पत्थर मंदिर में लगा गया है। मंदिर की सुंदरता अब देखते ही बनती है। प्रति दिन बहुत से श्रद्धालु दर्शन करने आते है।
स्वर्वेद महामंदिर
हाल ही में नए वर्ष पर काशी वासियों को स्वर्वेद महामंदिर के रूप में उपहार मिला। यह अत्यत सुन्दर स्वर्वेद महामंदिर एक अध्यात्म का केंद्र है। स्वर्वेद महामंदिर स्वर्वेद को समर्पित है, जो एक अद्वितीय आध्यात्मिक ग्रंथ है जो दुनिया को बेजोड़ प्रतिध्वनि और ऊर्जा प्रदान कर रहा है; सूक्ष्म और वृहत स्तर पर समाज की आध्यात्मिक जागृति को मजबूत करते हुए शांति, सद्भाव और प्रेम की स्थापना करना है। सद्गुरु श्री सदाफल देवजी महाराज विहंगम योग के संस्थापक द्वारा लिखित ‘स्वर्वेद’ एक दिव्य आध्यात्मिक ग्रंथ है। स्वर्वेद ब्रह्म विद्या के संदेश का प्रचार करता है। स्वर्वेद महामंदिर विश्व का सबसे बड़ा ध्यान केंद्र है 20,000 से अधिक लोग एक साथ बैठकर ध्यान कर सकते हैं। महामंदिर का शिलान्यास मार्च 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था ।
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